EV Subsidy: सब्सिडी पाने के लिए ‘खेल’ करने वाली EV कंपनियों की बढ़ी मुसीबत, सरकार ने उठाया कड़ा कदम

नयी दिल्ली: सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बनाने वाली एक दर्जन से अधिक कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी को निलंबित कर दिया है। इसकी वजह यह है कि जांच में ये बातें सामने आ रही हैं कि भारत सरकार की ओर से ईवी को बढ़ावा देने के लिए चलाई जा रही फ्लैगशिप स्कीम का फायदा उठाने के लिए कुछ कंपनियों ने कथित तौर पर अनियमितताओं का सहारा लिया है।

मुख्य रूप से तिपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं
जिन कंपनियों की सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के लिए सब्सिडी बंद कर दी है, उनमें से ज्यादातर तिपहिया वाहनों के निर्माण से जुड़ी हैं। इनमें विक्ट्री इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ठुकराल इलेक्ट्रिक और बेस्ट वे एजेंसियां ​​समेत अन्य कंपनियां शामिल हैं।

इन कंपनियों को सरकार की 10,000 करोड़ रुपये की फेम 2 (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) स्कीम के तहत सब्सिडी दी जा रही थी. फेम-2 की वेबसाइट पर इन कंपनियों द्वारा बनाए गए वाहन की सब्सिडी की स्थिति ‘समाप्त’ लिखा हुआ है।

इसके चलते सब्सिडी को निलंबित करने का फैसला लिया गया है।
यह माना जाता है कि घटकों के स्थानीयकरण से संबंधित नियमों का पालन न करना सब्सिडी को निलंबित करने के कारणों में से एक है क्योंकि यह इस योजना का लक्ष्य है। इसके अलावा ऐसी पुरानी बैटरी तकनीक का उपयोग, जिसे इस योजना के लिए मंजूरी नहीं दी गई है, भी सब्सिडी निलंबित करने का एक कारण है।

एक अधिकारी ने कहा, “हमने पाया है कि उनमें से कुछ को लीथियम-आयन बैटरी के साथ प्रमाणन मिला है, लेकिन वे अपने वाहनों को लेड-एसिड बैटरी के साथ बेच रहे थे।”

लेड-एसिड एक पुरानी बैटरी तकनीक है और ऐसी बैटरी से लैस वाहनों को FAME-II योजना के तहत सब्सिडी नहीं मिल सकती है।

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