पंजाब के फरीदकोट में एक किसान की बेटी ने एक बार फिर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। इस बेटी ने भोपाल में आयोजित आईएसएसएफ विश्व कप 2023 में 50 मीटर राइफल शूटिंग में कांस्य पदक जीता है। इससे पंजाब और फरीदकोट दोनों का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन हुआ है। फरीदकोट की बेटी सिफत कौर ने कांस्य पदक जीतकर अपनी एक नई पहचान बनाई है। कौर ने देश के साथ-साथ विदेशों में आयोजित प्रतियोगिताओं में भाग लेकर निशानेबाजी में स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते हैं।
सिफत कौर की अब तक की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों की बात करें तो पिछले साल जर्मनी में हुए जूनियर वर्ल्ड कप में देश ने दो गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता था. अगस्त 2022 में कोरिया में हुए सीनियर विश्व कप में देश के लिए कांस्य पदक जीता। अब तक सिफत कौर कुल सात पदक जीत चुकी हैं। सिफत कौर समरा ने 3 अक्टूबर, 2022 को गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का गौरव हासिल किया। उन्होंने पिछले साल तिरुवनंतपुरम में आयोजित राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता था।
सिफत कौर के किसान पिता का सबसे अहम रोल उनकी सफलता में रहा है. इलाके में कोई शूटिंग रेंज नहीं होने के कारण पिता ने बेटी के लिए घर में ही शूटिंग रेंज बना दिया है. अब सिफत कौर का सपना निशानेबाजी में ओलंपिक में स्वर्ण जीतकर देश का नाम रोशन करना है। कौर के पिता पवनदीप सिंह समरा एक साधारण किसान हैं जिन्होंने अपनी बेटी की उम्मीदों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की। फरीदकोट में शूटिंग रेंज नहीं होने पर पवनदीप समरा अपनी बेटी को ट्रेनिंग के लिए चंडीगढ़ और दिल्ली भेजते रहे हैं।
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इस सफलता में सिफत कौर की कोच भी भागीदार हैं जिन्होंने सिफत को प्रशिक्षण दिया। कोच की वजह से ही आज सिफत कौर इस मुकाम पर हैं। सिफत कौर का कहना है कि अब तक उन्होंने सात पदक जीते हैं जिसमें पांच पदक जूनियर में और दो पदक सीनियर विश्व कप में जीते हैं. सिफत कौर शूटिंग के साथ मेडिकल की पढ़ाई के लिए एमबीबीएस कोर्स करना चाहती हैं। कौर ने कहा कि खेल के कारण उनका एक साल खराब हो गया है। इसलिए सरकार से गुजारिश है कि पढ़ाई पूरी करने में मदद करें। सिफत कौर खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी पूरी करना चाहती हैं।
इस मौके पर सिफत कौर समरा की कोच ने बताया कि वह शुरू से होनहार थी। स्टेट के बाद समरा ने नेशनल और अब वर्ल्ड कप में भी ब्रॉन्ज मेडल जीता है। सिफत कौर काहिरा और जर्मनी में भी खेल चुकी हैं। कोच का कहना है कि फरीदकोट जिले में कोई सरकारी शूटिंग रेंज नहीं है, इसलिए सिफत कौर घर पर ही तैयारी करती थी। कोच ने कहा, मेरे 15 छात्र हैं जिनमें से आठ ने राष्ट्रीय पदक जीते हैं।
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पिता ने भी सिफत कौर की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र के लोग इस उपलब्धि से खुश हैं. बेटी एमबीबीएस करना चाहती है लेकिन उसके पेपर नहीं हो रहे हैं। खेलने के कारण हाजिरी नहीं ली और बेटी परीक्षा नहीं दे पाई। इसमें सरकार से मदद की गुहार लगाई है। सिमत कौर की इस उपलब्धि पर पूरे इलाके में खुशी की लहर है और लोग घर-घर पहुंचकर बधाई दे रहे हैं. इस वक्त बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है.
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